क्या आप Majburi Shayari In Hindi ढूंढ रहे हैं? हम सभी की ज़िन्दगी में कभी न कभी कोई न कोई मजबूरी आती ही हैं और ये सब मजबूरिया और चुनौतियां ज़िन्दगी का ही हिस्सा है। इन मजबूरियों से जूझते हुए लोग अपनी मजबूरिया दुसरो को बता भी नहीं पते क्युकी दूसरे लोग अपने फायदे के लिए दुसरो की मजबूरी का फायदा उठाते लेते हैं।
इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम Majboori Shayari In Hindi, मजबूरी पर शायरी, Insan ki Majburi Shayari, हालात से मजबूर शायरी शेयर कर रहे हैं।
Majburi Shayari In Hindi
हिम्मत तो इतनी थी किसमुद्र भी पार कर सकते थे,
मजबूर इतना हुए किदो बुंद आंसूओं ने डुबा दिया।
वह मान ना सके गुजारिश हमारी,मजबूरी हमारी वह जान ना सके,कहते हे याद रखेंगे मरते दम तकजीते जी पहचान ना सके।
बुरे वक्त में मांगों किसी से मददलोग अपनी मजबुरियां बताने लगते हैं,वो अपने ही होते हैं जनाबजो बुरे वक़्त में साथ छोड़ देते हैं।
फिर यूँ हुआ कि जब भीजरुरत पड़ी,
मुझेहर शख्स इत्तेफाक से मजबूर हो गया……!!
मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम न दे,
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम न ले,
तेरा वहम है कि मैंने भुला दिया तुझे,
मेरी एक भी साँस ऐसी नहीं जो तेरा नाम न ले…..!!
वक्त नूर को बेनूर कर देता हैं,छोटे से जख्म को नासूर कर देता है,कौन चाहता है अपने से दूर होना,लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता हैं..!!
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ना कोई लाचारी है ना कोई मजबूरी है,
बेवफाई उसकी पैदायशी बीमारी है…..!!
ज़ख्म सब भर गए बस एक चुभन बाकी है,
हाथ में तेरे भी पत्थर था हजारो की तरह,
पास रहकर भी कभी एक नहीं हो सके,
कितने मजबूर हैं दरिया के किनारों की तरह।
उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है,
उन से कह न पाना हमारी मजबूरी है,
वो क्यू नै समझते हमारी खामोशी को..!!
मजबूरी पर शायरी
कोई मजबूरी होगी जो वफा कर ना सके..
मेरे मेहबूब को ना शामिल करो बेवफाओ में..!!
मिलना एक इत्तेफ़ाक है,
और बिछड़ना मजबूरी है,
चार दिन की इस जिन्दगी में
सबका साथ होना जरूरी है.!!
जो लोग आपकी मजबूरी को समझते है,
वही आपके मजबूरी का फायदा उठाते है…!!
बोझ उठाना शौक़ कहाँ है,
मजबूरी का सौदा है,
रहते रहते स्टेशन पर लोग क़ुली हो जाते हैं…!!
बहाना बनाते है लोग,
अपनी मजबूरी बताकर,
किसी का दिल भी टूट जाये,
तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें।
प्यार तो कर लेते है लोग,
लेकिन निभाना नहीं जानते,
जब निभाने की बारी आती है,
तो मज़बूरी का बहाना बता कर छोड़ जाते है।
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मजबूरियॉ ओढ़ के निकलता हूंघर से आजकल,
वरना शौक तो आज भी हैबारिशों में भीगनें का।
प्यार तो तुम करती हो मुझसे,
शादी किसी और से करती हो,
सवाल पूछा जब मैने तुझसे,
तो मज़बूरी अपनी बताती हो।
अगर मोहब्बत है मुझसे,
तो शादी करने में क्या हर्ज है,
अपनी मज़बूरी तो बताओ मुझे,
ये तो तुम्हारा फ़र्ज़ है।
Majboori Shayari In Hindi
खामोशी समझदारी भी है और मजबूरी भी…
कहीं नज़दीकियां बढ़ाती है और कहीं दूरी भी…!!
थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ
मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ..!!
अनकहे शब्दों के बोझ से थक जाता हूँ कभी,
पता नही चुप रहना समझदारी हैं या मजबूरी..!!
कुछ अलग ही करना है तो वफ़ा करो,
वरना मजबूरी का नाम लेकर बेवफाई
तो सभी करते है…!!
क्या खूब मजबूरी है गमले में लगे पेड़ों की…
हरा भी रहना है और बढ़ना भी नहीं….
मेरी ख्वाहिशों से बड़ी हो गई है मजबूरियां,
आरजू तो थी एक झलक दीदार की।
किसी की मजबूरी का मजाक ना
बनाओ यारों,जिन्दगी कभी मौका
देती है तो कभी धोखा भी देती है…!!
भरी महफ़िल में नजरे तलक ना मिली,
जाने क्यों उसने दुहाई दे दी थी प्यार की।
यूँ रूठा ना कर तू यार मेरे,
तुझसे ना मिलना मेरी मजबूरी है।
हालात से मजबूर शायरी
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मैं मजबूरियां ओढ़ कर निकलता हूँ घर
से आज कल,वरना शौक तो आज भी है
बारिशों में भीगने का।
दिल सिर्फ तेरे लिए ही धड़के,
भले दरमियाँ मीलो की दूरी है।
काश हम ज़माने से परे होते,
ये मजबूरियों की बंदिश तोड़ दी होती।
किसी की मजबूरी कोई समझता नहीं,
दिल टूटे तो दर्द होता है मगर कोई कहता नहीं..!!
नैनों का नैनों से दीदार हो जाता,
ना तेरी रोती आँख ना मेरी रोती।
तेरा मिलना सौगात थी दिल को,
और मिलकर बिछड़ना ये कैसी मजबूरी।
अपना बनाकर फिर कुछ दिनों में बेगाना बना दिया,
भर गया दिल हमसे और मजबूरी का बहाना बना दिया…!!
बिन तेरे जीना ना आया मुझे,
सांसे थमने से पहले फिर दीदार है जरुरी।
आप दिल से यूँ पुकारा ना करो,
हमको यूँ प्यार से इशारा ना करो,
हम दूर हैं आपसे ये मजबूरी है हमारी,
आप तन्हाइयों मे यूँ रुलाया ना करो…
Majboori Shayari Hindi Me
तेरी ख़ामोशी अगर तेरी मजबूरी है,
तो रहने दो इश्क़ भी कौन सा जरूरी है…!
चाँद की चांदनी आँखों में उतर आयी,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई..!!
दुश्मनों की कहां अब जरूरत है
काफी है अपने ही दर्द देने के लिए..!!
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अगर तेरी मजबूरी है भूल जाने की,
तो मेरी आदत है तुझे याद रखने की..!!
बेवजह नहीं होती है खामोशियों,
क्योंकि कुछ दर्द ऐसे होते है ,
जो आवाज छीन लेते है मुंह से ..!!
हम उन्हें भी हारे है मोहब्बत में जो कहते थे हम तुम्हारी हैं …!!
जो लोग आपकी मजबूरी को समझते है,
वही आपके मजबूरी का फायदा उठाते है..!!
जितनी इज्जत दे सकते थे ,
तुमने मुझे दी अब तुम देखोगे,
मेरी ख़ामोशी और मेरा सब्र का इम्तिहान ..!!
प्यार चाहे किसी को कितना भी क्यों ना दे दो
आखिर में वो छोड़ कर चला ही जाता है ..!!
Insan ki Majburi Shayari
मुलाकातें तो आज भी हो जाती है तुमसे,
मेरे ख्याल किसी मजबूरी के मोहताज नहीं…!!
अपने हाथों से अपने सजाए खाबों को तोडना पड़ता है, गरीब होना इतना भी आसान नहीं है।
बहुत से हादसों से लड़ा हूं में
वक़्त से पहले में बहुत बड़ा हूं अपनी उम्र से ..!!
कुछ अलग ही करना है तो वफ़ा करो,
वरना मजबूरी का नाम लेकर बेवफाई
तो सभी करते है….!!
जब कोई आपकी नाराजगी की परवाह करना छोड़ दे,
तब समझ जाओ की मोहब्बत ख़तम और मज़बूरी शुरू !!
मैं मजबूरियां ओढ़ कर निकलता हूँ घर
से आज कल,वरना शौक तो आज भी है
बारिशों में भीगने का।
थक जाता हु अनकहे शब्दों के बोझ
से पता नहीं चुप रहना समझदारी हे
या मजबूरी।
लाचार और थोड़ा मजबूर हूँ मैं, एक वक़्त की रोटी के लिए तरसने वाला एक मजदूर हूँ मैं।
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वो करीब बहुत है, मगर कुछ दूरियों के साथ,
हम दोनों जी तो रहे है, पर बहुत सी मजबूरीयों के साथ !!
बहुत दर्दनाक होती है लाचारी
करती है जीना मुश्किल मजबूरी…!!
बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे,
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ….!!
मजबूरी शायरी हिंदी में
मेरी तमन्ना न थी, तेरे बगैर रहने की लेकिन,
मजबूर को, मजबूर की, मजबूरीयां, मजबूर कर देती है।
तुम बेवफा नहीं ये तो धड़कने भी कहती हैं,
अपनी मजबूरी का एक पैगाम तो भेज देते।
मुस्कान के पीछे दुख छिपाते, देखा है मैंने गरीबों को ताब्यत खराब है के परदे के पीछे भूख छिपाते देखा है..!!
उसके दिल में खोट नहीं था एक जरा मजबूरी थी,
दोनों की एक दुनिया थी, पर दोनों में एक दूरी थी !!
गिर जाना पड़ता है किसी के पैरों में, इंसान हालातों के हाथों इतना मजबूर हो जाता है।
इंसान अपने आप को बस समझदार समझ सकता है लेकिन किसी की मजबूरी नहीं समझ पाता।