क्या आप Bachpan Shayari In Hindi 2 Line ढूंढ रहे हैं? सबकी के लिए उसनका बचपन एक अच्छे सपने के समान होता और लोग बचपन की ज़िन्दगी दोबारा जीना चाहते हैं। बचपन में हम सब बिना किसी चिंता के सिर्फ खेलते थे, दोस्तों के साथ स्कूल जाते थे, और मौज मस्ती करते थे वो सभी को बोहोत याद आता हैं।
इस लिए आज के इस आर्टिकल में हम Bachpan Shayari In Hindi 2 Line, Bachpan Ki Shayari In Hindi, बचपन शायरी 2 लाइन, Bachpan Ki Yaadein Shayari, Bachpan Ki Dosti Shayari शेयर कर रहे हैं।
Bachpan Shayari In Hindi 2 Line
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी,
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया।
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे,
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे,
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता और बचपन में जी भरकर रोया करते थे।
कितना आसान था बचपन में सुलाना हम को,
नींद आ जाती थी परियों की कहानी सुन कर।
Also Visit :- Best 2 Line Short Shayari In Hindi
जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरह,
मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे।
मुखौटे बचपन में देखे थे,
मेले में टंगे हुए,
समझ बढ़ी तो देखा लोगों पे चढ़े हुए।
फिर से बचपन लौट रहा है शायद,
जब भी नाराज होता हूँ खाना छोड़ देता हूँ।
मै उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह,
वो मेरे साथ है बचपन की आदतों की तरह।
वो बचपन की नींद अब ख्वाब हो गई,
क्या उमर थी कि, शाम हुई और सो गये।
दूर मुझसे हो गया बचपन मगर
मुझमें बच्चे सा मचलता कौन है..
2 Line Bachpan Shayari In Hindi
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम..!
मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई..!
वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है,
बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है।
Also Read :- Best 50+ Sharafat Shayari In Hindi 2 Lines | शराफत पर शायरी
मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई..!!
देर तक हँसता रहा उन पर हमारा बचपना
जब तजुर्बे आए थे संजीदा बनाने के लिए
वो बड़े होने से डरता है,
इसीलिए बचपना करता है।
वो बचपन भी क्या दिन थे मेरे
न फ़िक्र कोई न दर्द कोई
बीएस खेलो, खाओ, सो जाओ
बस इसके सिवा कुछ याद नही।
मैं ने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई,
आज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में ।
बचपन भी कमाल का था
खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें
या ज़मीन पर
आँख बिस्तर पर ही खुलती थी..!
Bachpan Ki Shayari In Hindi
करता रहूं बचपन वाली नादानियां उम्र भर,
ना जाने क्यों दुनिया वाले उम्र बता देते है।
जिस के लिए बच्चा रोया था और पोंछे थे आँसू बाबा ने
वो बच्चा अब भी ज़िंदा है वो महँगा खिलौना टूट गया..!!
रोने की वजह भी न थी, न हंसने का बहाना था,
क्यो हो गए हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था।
Also Read :- Best 2 Line Shayari On Chai | चाय लव शायरी हिंदी में
रोने की वजह भी न थी
न हंसने का बहाना था
क्यो हो गए हम इतने बडे
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था..!!
तुम मुझे से खुद को प्यार करने से तो बचा लोगे, पर
मेरी यादों को कैसे भुला पाओगे जो हमारे बचपन में गुजरा है।
कैसे कह दू की हम जुदा हो गए,
आपकी बचपन की यादें तो मुझे हर पल सताती है,
आपका रूठना और मेरा मानना ।
एक इच्छा है भगवन मुझे सच्चा बना दो,
लौटा दो मेरा बचपन मुझे बच्चा बना दो ।
बचपन से बुढ़ापे का बस इतना सा सफ़र रहा है,
तब हवा खाके ज़िंदा था अब दवा खाके ज़िंदा हूँ।।
बचपन समझदार हो गया,
मैं ढूंढता हू खुद को गलियों मे।
Bachpan Ki Dosti Shayari
बचपन में हम ही थे या था और कोई
वहशत सी होने लगती है यादों से..!!
वो बचपन की अमीरी न जाने कहां खो गई,
जब पानी में हमारे भी जहाज चलते थे।
मिरी मैली हथेली पर तो बचपन से
ग़रीबी का खरा सोना चमकता है..!
बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी,
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है।
एक हाथी एक राजा एक रानी के बग़ैर
नींद बच्चों को नहीं आती कहानी के बग़ैर ..!
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में,
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।
बचपन में आकाश को छूता सा लगता था,
इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं।
सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त ,
बचपन वाला इतवार अब नहीं आता।
जो सोचता था बोल देता था,
बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी।
काग़ज़ की नाव भी है, खिलौने भी हैं बहुत
बचपन से फिर भी हाथ मिलाना मुहाल है..!!
तेरी यादें भी मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं,
तन्हा होती हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाती हूँ।
बचपन शायरी 2 लाइन
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मेरी उम्र-ए-रवाँ,
मेरा बचपन मेरे जुगनू मेरी गुड़िया ला दे।
वो बचपन क्या था, जब हम दो रुपए में जेब भर लिया करते थे।
वो वक़्त ही क्या था, जब हम रोकर दर्द भूल जाया करते थे।।
कोई तो रूबरू करवाए बेखौफ बीते हुए बचपन से..
मेरा फिर से बेवजह मुस्कुराने का मन है..!!
माना बचपन में, इरादे थोड़े कच्चे थे।
पर देखे जो सपने, सिर्फ वहीं तो सच्चे थे।।
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।
देखकर रेल के डिब्बे बुहारता बचपन
लोग कह देते हैं– “ पाँवों पे खड़ा है तो सही”..!
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना,
बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना।
बिना समझ के भी, हम कितने सच्चे थे,
वो भी क्या दिन थे, जब हम बच्चे थे।
वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है,
बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है।
कोई मुझको लौटा दे वो बचपन का सावन,
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी।
Bachpan Ki Yaadein Shayari
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से,
वो बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं।
देखा करो कभी अपनी माँ की आँखों में भी,
ये वो आईना हैं जिसमें बच्चे कभी बूढ़े नही होते।
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते..!!
वो बचपन की अमीरी न जाने कहां खो गई,
जब पानी में हमारे भी जहाज चलते थे।
शौक जिन्दगी के अब जरुरतो में ढल गये,
शायद बचपन से निकल हम बड़े हो गये।
हर एक पल अब तो बस गुज़रे बचपन की याद आती है,
ये बड़े होकर माँ दुनिया ऐसे क्यों बदल जाती है।
कुछ यूं कमाल दिखा दे ऐ जिंदगी,
वो बचपन ओर बचपन के दोस्तो
से मिला दे ऐ जिंदगी।
कितने खुबसूरत हुआ करते थे
बचपन के वो दिन,
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से,
दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी।
इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में
ढूँडता फिरा उस को वो नगर नगर तन्हा..!!
बहुत खूबसूरत था,
महसूस ही नहीं हुआ,
कब कहां और कैसे
चला गया बचपन मेरा।
कोई तो रुबरु करवाओ
बेखोफ़ हुए बचपन से,
मेरा फिर से बेवजह
मुस्कुराने का मन हैं।
Bachpan Ke Din Shayari
अपना बचपन भी बड़ा कमाल का हुआ करता था,
ना कल की फ़िक्र ना आज का ठिकाना हुआ करता था।
काश लौट सकता हमारा बचपन,जिसमे आसान होता था जीवन।
अब समझदारी की दुनिया में आ गए,जीवन को और कठिन बना गए।
बचपन को कैद किया
उम्मीदों के पिंजरों में,
एक दिन उड़ने लायक कोई परिंदा नही बचेगा।
नींद तो बचपन में आती थी,
अब तो बस थक कर सो जाते है।
बचपन तो वहीं खड़ा इंतजार कर रहा है,
तुम बुढ़ापे की ओर दौड़ रहे हो।
जिम्मेदारियों ने वक्त से पहले
बड़ा कर दिया साहब,
वरना बचपन हमको भी बहुत पसंद था।
फिर से नज़र आएंगे किसी और में
हमारे ये पल सारे,
बचपन के सुनहरे दिन सारे।
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से,
कहीं भी जाऊँ मेरे साथ साथ चलते हैं..!
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर,बस अपनी ही धुन,
बस अपने सपनो का घर,काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर..!!